अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for the 'Uncategorized' Category

भीड़ से अलग होना ही असाधारण है

भीड़ में खड़ा हर व्यक्ति साधारण है लेकिन मंच पर बैठा व्यक्ति असाधारण हो जाता है। साधारण व्यक्ति को हम नहीं जानना चाहते लेकिन असाधारण व्यक्ति को हम समझना चाहते हैं, उसे जानना चाहते हैं। कल मेरे हाथ में “अग्नि की उड़ान” पुस्तक थी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की जीवनी पर लिखी पुस्तक। स्मपूर्ण पुस्तक […]

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मन की किवड़ियां खोल

समय काटे से कट नहीं रहा है, एक अनजान भय भी सभी के सर पर मंडरा रहा है, लोग अपनी जमापूंजी का बहीखाता लेकर बैठ गये हैं। सोना-चाँदी, बैंक डिपाजिट, रोकड़ा, जमीन, जायदाद सभी सम्भालने में लगे हैं। जीवन में लाभ-हानि का हिसाब लगा रहे हैं। अपनी शेष आयु को भी हिसाब में सम्मिलित कर […]

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डर कम होना चाहिए

दो खबरे एक साथ आयी, एक भाई ने बहन के कोरोना होने पर छत से छलांग लगायी और एक पोते ने दादी के कोरोना पोजेटिव होने पर फाँसी का फन्दा लगा लिया! डर हमारे रोम-रोम में समा रहा है, यह डर मृत्यु से अधिक दुर्दशा का डर है। कल ही एक खबर और आयी कि […]

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दोनों जीवन देख लिये

पुराने जमाने में विलासिता का प्रदर्शन दो जगह होता था – एक राजमहल तो दूसरा किसी गणिका का कोठा। हर आदमी लालायित रहता था कि कैसे भी हो एक बार राजमहल देख लिया जाए! इसी प्रकार जैसे ही जवानी की दस्तक हुई नहीं कि मर्द सोचने लगता था कि इस गणिका के कोठे पर नृत्य […]

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आते रहा करो

निंदक टाइप के लोग बड़े कमाल के होते हैं, किसी की बाल की खाल निकालनी हो तो ये ही याद आते हैं। क्या मजाल ऐसे बन्दे किसी की तारीफ कर दें, कोई ना कोई अवगुण निकाल ही लेते हैं। आप कहेंगे कि इसमें क्या कमाल है, मैं कहती हूँ की कमाल ही कमाल है। तभी […]

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