अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for July, 2017

तेरे लिये मैं क्या कर सकता हूँ?

बादल गरज रहे हैं, बरस रहे हैं। नदियां उफन रही हैं, सृष्टि की प्यास बुझा रही हैं। वृक्ष बीज दे रहे हैं और धरती उन्हें अंकुरित कर रही है। प्रकृति नवीन सृजन कर रही है। सृष्टि का गुबार शान्त हो गया है। कहीं-कहीं मनुष्य ने बाधा पहुंचाने का काम किया है, वहीं बादलों ने ताण्डव […]

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देखी तेरी चतुराई

कल राजस्थान के जोधपुर में एक हादसा होते-होते बचा। हवाई-जहाज से पक्षी टकराया, विमान लड़खड़ाया लेकिन पायलेट ने अपनी सूझ-बूझ से स्थिति को सम्भाल लिया। यह खबर है सभी के लिये लेकिन इस खबर के अन्दर जो खबर है, वह हमारा गौरव और विश्वास बढ़ाती है। महिला पायलेट ने जैसे ही पक्षी के टकराने पर […]

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गुटर गूं के अतिरिक्त नहीं है जीवन

मसूरी में देखे थे देवदार के वृक्ष, लम्बे इतने की मानो आकाश को छूने की होड़ लगी हो और गहरे इतने की जमीन तलाशनी पड़े। पेड़ जहाँ उगते हैं, वे वहाँ तक सीमित नहीं रहते, आकाश-पाताल की तलाश करते ही रहते हैं। हम मनुष्य भी सारा जहाँ देखना चाहते हैं, सात समुद्र के पार तक […]

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पहल करो – खेल तुम्हारा होगा

आओ आज खेल की ही बात करें। हम भी अजीब रहे हैं, अपने आप में। कुछ हमारा डिफेक्ट और कुछ हमारी परिस्थितियों का या भाग्य का। हम बस वही करते रहे जो दुनिया में अमूमन नहीं होता था। हमारा भाग्य भी हमें उसी ओर धकेलता रहा है। हमारी लड़की बने रहने की चाहत लम्बे समय […]

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मैं इस बात से आहत हूँ

#संजयसिन्हा की एक कहानी पर बात करते हैं। वे लिखते हैं कि मैंने एक बगीचा लगाया, पत्नी बांस के पौधों को पास-पास रखने के लिये कहती है और बताती है कि पास रखने से पौधा सूखता नहीं। वे लिखते हैं कि मुझे आश्चर्य होता है कि क्या ऐसा भी होता है? उनकी कहानियों में माँ […]

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